लेखनी प्रतियोगिता -08-May-2023

1 Part

320 times read

12 Liked

सखि, ये मन शैतान बड़ा है  चंचल पवन के जैसे ये मन  निर्मुक्त सा गगन में उड़ा है  सखि, ये मन शैतान बड़ा है  इक पल भी कहीं ठहर न पाये  ...

×